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नज़्म
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
गुलाबी हो कहीं ऐसा न हो तुम ज़र्द हो जाओ
मोहब्बत की हरारत खो के बिल्कुल सर्द हो जाओ
रहमान फ़ारिस
नज़्म
शलूका पहने हुए गुलाबी हर इक सुबुक पंखुड़ी चमन में
रंगी हुई सुर्ख़ ओढ़नी का हवा में पल्लू सुखा रही है
जोश मलीहाबादी
नज़्म
इस से कुछ हट कर गुलाबी शाख़-चों की छाँव में
थे वलीउल्लाह के फ़रज़ंद नुक्ता-आफ़रीं