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नज़्म
तुझ से जो मैं ने प्यार किया है तेरे लिए? नहीं अपने लिए
वक़्त की बे-उनवान कहानी कब तक बे-उनवान रहे
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
यही वो मंज़िल-ए-मक़्सूद है कि जिस के लिए
बड़े ही अज़्म से अपने सफ़र पे निकले थे
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
हँसी कल से मुझे इस बात पर है आ रही ख़ालू
कि ख़ाला कह रही थीं आप का है क़ाफ़िया आलू
राजा मेहदी अली ख़ाँ
नज़्म
अब कहाँ वो शौक़-ए-रह-पैमाई-ए-सहरा-ए-इल्म
तेरे दम से था हमारे सर में भी सौदा-ए-इल्म
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
उफ़ुक़ गर्द-ओ-ग़ुबार-ए-राह बन कर डूब जाते हैं
वो देखो पौ फटी अँधियारे जादों के शिगाफ़ों से
शफ़ीक़ फातिमा शेरा
नज़्म
उफ़ुक़ गर्द-ओ-ग़ुबार-ए-राह बन कर डूब जाते हैं
वो देखो पो फटी अँधियारे जादों के शिगाफ़ों से