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नज़्म
ये जल्वे पैकर-ए-शब-ताब के ये बज़्म-ए-शोहूद
ये मस्तियाँ कि मय-ए-साफ़-ओ-दुर्द सब बे-बूद
फ़िराक़ गोरखपुरी
नज़्म
अकबर इलाहाबादी
नज़्म
आँख खुली तो आँख में रंग-ए-बहार भर दिया
शीशा-ए-पाक-ओ-साफ़ में ले के ग़ुबार भर दिया
इज्तिबा रिज़वी
नज़्म
ख़ुतूत-ए-रुख में जल्वा-गर वफ़ा के नक़्श सर-ब-सर
दिल-ए-ग़नी में कुल हिसाब-ए-दोस्ताँ लिए हुए