aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "inkishaaf-e-shahr-e-naa-maaluum"
यही सब की कहानी हैये शहर-ए-ना-रसाई है
और शहर-ए-वफ़ा से दश्त-ए-जुनूँ कुछ दूर नहींहम ख़ुश न सही, पर तेरे सर का वबाल गया
शहर-ए-ना-वाक़िफ़-ए-हाल में आ गएपंछियों की तरह जाल में आ गए
रेग-ए-ना-मालूम के तूफ़ान मेंऐसे बिछ्ड़ें
अक़ाएद किर्म-ख़ुर्दाख़त्त-ए-ना-मालूम में लिक्खी किताबों में
हाए ये आरज़ू-ए-ना-मालूमएक नाला सा है बग़ैर आवाज़
आदमी ताब-ए-शकेबाई से गो महरूम हैउस की फ़ितरत में ये इक एहसास-ए-ना-मालूम है
ये शहर-ए-ना-शनास ये वीरानी-ए-हुजूमइस क़ाफ़िले में अहल-ए-नज़र का निशाँ नहीं
शहर-ए-ना-पुरसाँ की मनहूस घड़ीक़िस्सा-गो क़त्ल हुआ
बहुत न ठोकरें खाओ ये शहर-ए-दिल्ली हैक़दम सँभल के उठाओ ये शहर-ए-दिल्ली है
कोई ज़ी-होश अगर है तो सँभल कर निकलेशहर-ए-तारीक में दाना की चली है न चले
ख़स्तगी शहर-ए-तमन्ना की न पूछजिस की बुनियादों में
वही क़स्में शब-ए-ना-मो'तबर कीवही रस्में हैं शहर-ए-संग-दिल की
इंतिहा सिलसिलों की ना-मालूमऔर हर लम्हा सिलसिला-ए-जुम्बाँ
न मालूम कब ये जिहालत मिटेगीकब आएगा ऐश-ओ-ख़ुशी का ज़माना
आने वाला कल क्या होगा आओ खोज लगाएँदीवारों पे ज़ाइचे खींचें ना-मा'लूम को पाएँ
अब परिंदे भी आसमानों पर नहीं उड़ते किकहीं किसी ना-मा'लूम ड्रोन की ज़द में आ कर
कोई शय जुम्बिश-ए-पैहम से नहीं है महरूमएक ताक़त है पस-ए-पर्दा मगर ना-मालूम
तिरे शहर-ए-ख़ाना-ख़राब मेंहमें फिर मिलें न वो फ़ुर्सतें
मैं क़ल्ब-ए-शहर-ए-सलाम अंदरनम-ओ-तबस्सुम से आश्ना था मगर ये दिन थे
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