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नज़्म
किस तरह दर्द-ए-मोहब्बत से किनारा कर ले
जिस्म और रूह की फ़ुर्क़त को गवारा कर ले
ज़फ़र अहमद सिद्दीक़ी
नज़्म
तिरे लुत्फ़-ओ-अता की धूम सही महफ़िल महफ़िल
इक शख़्स था इंशा नाम-ए-मोहब्बत में कामिल
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
अपने गुलहा-ए-अक़ीदत पेश करती हूँ तुझे
मुख़्तसर ये है मोहब्बत पेश करती हूँ तुझे
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
और ये तर्क-ए-मोहब्बत की सज़ा है शायद
आज मैं ख़ुद से गुरेज़ाँ हूँ मगर ज़िंदा हूँ
मोहम्मद शामिमुज्जामा
नज़्म
अहद-ए-वफ़ा या तर्क-ए-मोहब्बत जो चाहो सो आप करो
अपने बस की बात ही क्या है हम से क्या मनवाओगे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
तबीअत अब तो है आमादा-ए-तर्क-ए-ग़ज़ल-ख़्वानी
चे रा कारी कुनद आक़िल कि बाज़ आयद पशेमानी
असद जाफ़री
नज़्म
न सुना मुझ को तू पैग़ाम-ए-मोहब्बत ऐ दोस्त
किस को है फ़ुर्सत-ए-तज्दीद-ए-मोहब्बत ऐ दोस्त