aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "iqbal mateen"
दोस्तो अंग्रेज़ ने इक़बाल कोदेना चाहा जिस घड़ी सर का ख़िताब
मैं दुनिया कासब से बातूनी इंसान हूँ
आजमैं जिस रास्ते पर चल रहा हूँ
जब मैं अपने अंदर झाँक रहा थाएक कुआँ था
غريب شہر ہوں ميں، سن تو لے مري فرياد کہ تيرے سينے ميں بھي ہوں قيامتيں آباد
जबमैं ने
चार शनासा दीवारों मेंइक अंजाना कमरा
مذاق ديد سے ناآشنا نظر ہے مري تري نگاہ ہے فطرت کي راز داں، پھر کيا
घोर-अँधेरे सहराओं मेंजब मैं भटका
मैं घुप अंधेरे में जा छुपा थाकि रौशनी मेरी जाँ की बैरी
अपनी पिछली साल-गिरह पर मैं ये सोच रहा थाकितने दिए जलाऊँ मैं?
मैं कार-ए-जहाँ से नहीं आगाह वलेकिनअरबाब-ए-नज़र से नहीं पोशीदा कोई राज़
मुझे आवाज़ ना देनापलट कर मैं न आ जाऊँ
शाइर ने कहानज़्म लिखी है मैं ने
परवानापरवाने की मंज़िल से बहुत दूर है जुगनू
उर्दू है मिरा नाम मैं 'ख़ुसरव' की पहेलीमैं 'मीर' की हमराज़ हूँ 'ग़ालिब' की सहेली
मैं तुझे ढूँडने निकला घर सेऔर अपना ही पता भूल गया
نہ سليقہ مجھ ميں کليم کا نہ قرينہ تجھ ميں خليل کا ميں ہلاک جادوئے سامري، تو قتيل شيوئہ آزري
अलिफ़ अना को काट दियाअपने साए पर औंधा गिरने वाला
मैं अगर ख़ाकतो है आब मिरी
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