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नज़्म
गर्दिश-ए-ख़ूँ में रवाँ दिल के धड़कने की सदा
अश्क-ए-ख़ूँ-नाब के अंदर से उबलती आवाज़
हारिस ख़लीक़
नज़्म
छुपाऊँ क्यूँ न दिल में ख़ातिम-ए-गौहर-निगार उस की
यही ले दे के मेरे पास है इक यादगार उस की
अख़्तर शीरानी
नज़्म
मिरे सरकश तराने सुन के दुनिया ये समझती है
कि शायद मेरे दिल को इश्क़ के नग़्मों से नफ़रत है
साहिर लुधियानवी
नज़्म
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
चारासाज़-ओ-दस्तगीर-ए-बे-कसाँ कोई न था
कौन होता बे नवाओं का भला मातम-कुनाँ
अब्दुल क़य्यूम ज़की औरंगाबादी
नज़्म
सुना है तुम ने अपने आख़िरी लम्हों में समझा था
कि तुम मेरी हिफ़ाज़त में हो मेरे बाज़ुओं में हो
जौन एलिया
नज़्म
छोड़ दे मुतरिब बस अब लिल्लाह पीछा छोड़ दे
काम का ये वक़्त है कुछ काम करने दे मुझे