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नज़्म
तेरे नुमूद पर करे फ़ख़्र हर एक बा-कमाल
इज़्ज़त-ए-क़ौम का है जुज़ इज़्ज़त-ए-नफ़्स का सवाल
अली मंज़ूर हैदराबादी
नज़्म
कोई नक़्श-ए-हक़ीक़त है कि ये तस्वीर है तेरी
अयाँ सुब्ह-ए-सआ'दत है कि ये तस्वीर है तेरी
तिलोकचंद महरूम
नज़्म
इज़्ज़त-ए-अज्दाद के सर पर दमा-दम ठोकरें
रिश्ता-ए-आवाज़ पर लफ़्ज़ों की पैहम ठोकरें
जोश मलीहाबादी
नज़्म
इज़्ज़त-ए-क़ौमी तरसती थी सदा आँखें में
आ के बलदा के सिवा न में लगा उस का पता
अल्ताफ़ हुसैन हाली
नज़्म
था ये जौहर तेरी फ़ितरी शाइरी के रूतबा-दाँ
इज़्ज़त-ए-फ़न थी तिरी नाज़ुक-मिज़ाजी में निहाँ