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नज़्म
जमील मज़हरी
नज़्म
''कोई माशूक़ ब-सद-शौकत-ओ-नाज़ आता है
सुर्ख़ बैरक़ है समुंदर में जहाज़ आता है''
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
अदीम हाशमी
नज़्म
आप दोनों लड़ पड़े तो जाने क्या हो जाएगा
दो मिनट में इस जहाँ का ख़ात्मा हो जाएगा
राजा मेहदी अली ख़ाँ
नज़्म
जहाँ पे मेरे निशान-ए-पा अब थके थके से गिरे पड़े थे
हरीम-ए-महमिल में वो सफ़ीर-ए-नवेद-परवर