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नज़्म
हम ने हर दौर में मेहनत के सितम झेले हैं
हम ने हर दौर के हाथों को हिना बख़्शी है
साहिर लुधियानवी
नज़्म
जो मसाइब इस ने झेले हैं उन्हें झेलेगा कौन
खेल जो हिम्मत के खेले उस ने वो खेलेगा कौन
अर्श मलसियानी
नज़्म
मेरा बचपन माता-पिता की दूरी का दुख झेले
कोई मुझे मेरा घर दे दे महले दो महले ले ले
साहिर लुधियानवी
नज़्म
मन का मंदिर रेज़ा रेज़ा हो जाता है
मैं क्या जानूँ तुम ने क्या क्या दुख झेले हैं
ज़ाहिद मुनीर आमिर
नज़्म
झेले हुए दिनों को हम आज भी नहीं भूले
बहुत सैंत कर रखी हैं हम ने उन वक़्तों की यादें
अज़रा अब्बास
नज़्म
पहूँची ग़म की रूह तक जिन की न कोई एक बात
इश्क़ में झेले हैं तू ने ऐसे भी कुछ सानेहात
नाज़िश प्रतापगढ़ी
नज़्म
मैं ने जिस ज़ो'म में रुस्वाई के ता'ने झेले
उस का अंजाम-ए-बला-ख़ेज़ मिरे पास आया