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जिगर मुरादाबादी
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शकेब जलाली
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शहज़ाद अहमद
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मुझे यक़ीं है कि ये नया हम-सफ़ीर मेरा
मिरी तरह से ज़मीं के शीशे की शश-जिहत से न आगे परवाज़ कर सकेगा
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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मुझे यक़ीं है कि ये नया हम-सफ़ीर मेरा
मिरी तरह से ज़मीं के शीशे की शश-जिहत से न आगे परवाज़ कर सकेगा
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