आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "jurmaana-haa-e-jurm-e-shauq"
नज़्म के संबंधित परिणाम "jurmaana-haa-e-jurm-e-shauq"
नज़्म
तरक़्क़ी मुनहसिर 'इस्याँ पे है मक़्सूद-ए-फ़ितरत की
तड़पता सीना-हा-ए-शौक़ में राज़-ए-ज़ियाँ हो कर
अहसन अहमद अश्क
नज़्म
एक आग़ोश-ए-हसीं शौक़ की मेराज है क्या
क्या यही है असर-ए-नाला-ए-दिल-हा-ए-हज़ीं
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
हर एक ज़र्रे में हैं लाख बिजलियाँ ऐ दोस्त
निगाह-ए-शौक़ न हो जाए मरकज़-ए-आफ़ात
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
जब चल पड़ा हूँ घर से तो मंज़िल की शर्त क्या
हूँ रह-नवर्द-ए-शौक़ भटकने की उम्र है
ओवेस अहमद दौराँ
नज़्म
ज़िंदगी महव-ए-सफ़र है नए अंदाज़ के साथ
हैं लब-ए-शौक़ पे मंज़िल के तराने रक़्साँ
ज़हीर नाशाद दरभंगवी
नज़्म
जल के सोज़-ए-इज़्तिराब-ए-शौक़ में परवाना-वार
ख़ुल्द में शौहर से होना उफ़ वो ख़ुश ख़ुश हम-कनार
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
सब गलियों में तरनजन थे और हर तरनजन में सखियाँ थीं
सब के जी में आने वाली कल का शौक़-ए-फ़रावाँ था