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नज़्म
न हो नौमीद नौमीदी ज़वाल-ए-इल्म-ओ-इरफ़ाँ है
उमीद-ए-मर्द-ए-मोमिन है ख़ुदा के राज़-दानों में
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
सदा दो अंजुम-ए-अफ़्लाक रक़्स फ़रमाएँ
बुतान-ए-काफ़िर-ओ-सफ़्फ़ाक रक़्स फ़रमाएँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
आज भी 'कैफ़ी'-ओ-'महरूम' की आवाज़ हूँ मैं
आज भी 'साहिर'-ओ-'सरदार' का ए'जाज़ हूँ मैं
इज़हार मलीहाबादी
नज़्म
कौन सी वादी में है कौन सी मंज़िल में है
इश्क़-ए-बला-ख़ेज़ का क़ाफ़िला-ए-सख़्त-जाँ
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मिस्ल-ए-ख़ुर्शीद जबीनों पे हैं सज्दों के निशाँ
क़ल्ब-ए-मोमिन हुआ मानिंद-ए-क़मर आज की शाम
अरमान अकबराबादी
नज़्म
है अज़ल से मेरे पहलू में दिल-ए-मोमिन निहाद
मेरी नज़रें तोड़ देती हैं तिलिस्म-ए-बर्क़-ओ-बाद