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नज़्म
मन के मंदिर को मुनव्वर करे नूर-ए-इस्लाम
का'बा-ए-दिल में रहे शाम-ओ-सहर राम का नाम
कुँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
नज़्म
नज़र से दूर मंज़र का सर-ओ-सामान-ए-सर्वत हो
हमारी उम्र का क़िस्सा हिसाब अंदोज़-ए-आनी है
जौन एलिया
नज़्म
दिल के दाग़ों को समझ लूँ किस तरह गुलहा-ए-तर
ग़म से कैसे साज़-ओ-सामान-ए-ख़ुशी पैदा करूँ
जगदीश सहाय सक्सेना
नज़्म
साज़-ओ-सामान-ए-तरब सब कुछ तिरी महफ़िल में है
दर्द-ए-इंसानी का भी जल्वा किसी के दिल में है