aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "kadduu"
जलवतियान-ए-मदरसा कोर-निगाह ओ मुर्दा-ज़ाैक़जलवतियान-ए-मयकदा कम-तलब ओ तही-कदू!
कद्दू करैला अरवी आलूबैगन टिंडा और शफ़्तालू
कद्दू रे कद्दूबैठा मुंडेर
लेकिन कद्दूजी हाँ समरा कद्दू पर लुढका सकती है
और रात में उन के घर बस नींद का सौदा हो सकता हैऔर नींद कद्दू की बेल है सूख गई तो साहिल पर पैग़म्बर बचा रह जाता है
कद्दू खाते थे हुज़ूर-ए-पाक भीठंडा ठंडा है इसे खाएँ सभी
वो मुस्कुराए तराने वो जगमगाए कदूये आब-ओ-ताब न थी नीम-वा शगूफ़ों में
किस ने ठंडा किया आतिश-कदा-ए-ईराँ कोकिस ने फिर ज़िंदा किया तज़्किरा-ए-यज़्दाँ को
आग सी सीने में रह रह के उबलती है न पूछअपने दिल पर मुझे क़ाबू ही नहीं रहता है
और अहल-ए-हकम के सर-ऊपरजब बिजली कड़-कड़ कड़केगी
जहाँ प्यार की क़द्र ही कुछ नहीं हैये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है
उठ मिरी जान मिरे साथ ही चलना है तुझेज़िंदगी जेहद में है सब्र के क़ाबू में नहीं
वो नौहों के अदब का तर्ज़ तो पहचानती होगीउसे कद होगी शायद उन सभी से जो लपाड़ी हों
सरिश्त-ए-इश्क़ ने उफ़्तादगी नहीं पाईतू कद्द-ए-सर्व न बीनी ओ साया-पैमाई
ये सर्दी ये गर्मी ये बारिश ये धूपये चेहरा ये क़द और ये रंग-रूप
माना कि ये सुनसान घड़ी सख़्त कड़ी हैलेकिन मिरे दिल ये तो फ़क़त इक ही घड़ी है
कुछ नर्म लकीरें काजल कीइक खोई कड़ी अफ़्सानों की
वो कोहकन तो नहीं था लेकिनकड़ी चटानों से लड़ चुका है
वो इक हुजूम-ए-मय-कशाँहै सू-ए-मय-कदा रवाँ
ये दौर अपने बराहीम की तलाश में हैसनम-कदा है जहाँ ला-इलाहा-इल्लल्लाह
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