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नज़्म
यक़ीं मोहकम अमल पैहम मोहब्बत फ़ातेह-ए-आलम
जिहाद-ए-ज़िंदगानी में हैं ये मर्दों की शमशीरें
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
''ख़लल-पज़ीर बुअद हर बिना कि मय-बीनी
ब-जुज़ बिना-ए-मोहब्बत कि ख़ाली अज़-ख़लल-अस्त''
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
सुब्ह-ए-सादिक़ की तरह रौशन है बापू तेरी ज़ात
ज़ौ-फ़िशाँ है हिन्द की तारीख़ में तेरा सबात
तकमील रिज़वी लखनवी
नज़्म
सुब्ह-ए-सादिक़ की तरह रौशन है बापू तेरी ज़ात
ज़ौ-फ़िशाँ है हिन्द की तारीख़ में तेरा सबात
तकमील रिज़वी लखनवी
नज़्म
हक़ीक़त से हैं ख़ाली तेरे शरमाए हुए बोसे
मोहब्बत से हैं ख़ाली तेरे घबराए हुए बोसे
अख़्तर शीरानी
नज़्म
हड़ताल करने से न टलो मैं नशे में हूँ
ऐ ग़ैर-मुलकियों की कलो मैं नशे में हूँ
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
ऐ दिल-ए-अफ़सुर्दा पीने की बहारें आ गईं
काली काली बदलियाँ फिर आसमाँ पर छा गईं
सय्यद आबिद अली आबिद
नज़्म
घटा है घनघोर रात काली फ़ज़ा में बिजली चमक रही है
मिलन का सीना उभार पर है बिरह की छाती धड़क रही है
नज़ीर बनारसी
नज़्म
फ़र्श आँखें किए बैठे हैं जवानान-ए-चमन
दिल में तूफ़ान-ए-तरब लब पे मोहब्बत के सुख़न
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
दिल मसर्रत की फ़रावानी से दीवाना है आज
देखना ये कौन आख़िर ज़ेब-ए-काशाना है आज