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नज़्म
मेरा रस्ता क़ब्रिस्तान से हो कर आगे जाता है
उस रस्ते से और भी लोग गुज़र कर आगे जाते हैं
ख़लीक़ुर्रहमान
नज़्म
जमीलुर्रहमान
नज़्म
वो चाँदनी की हसीं वादियों में रक़्साँ हैं
वो दौर-ए-पैकर-ए-रूमाँ जुनूँ-ब-दामाँ हैं