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नज़्म
अपने ही लिक्खे हुए चंद ख़तों की ख़ातिर
मुझ से ख़ाइफ़ ही नहीं ख़ुद से भी बेज़ार हो तुम
प्रेम वारबर्टनी
नज़्म
साइमा इसमा
नज़्म
कि तुम अपने बाप की पैदाइश से भी बहुत पहले गिरवी रख दिए गए थे
मैं उस दिन से ले कर आज तक बही-खातों के