aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "kheme"
इस दीदा-ए-तर का क्या होगा इस ज़ौक़-ए-नज़र का क्या होगाजब शेर के ख़ेमे राख हुए नग़्मों की तनाबें टूट गईं
हुजरे में ख़मोशी है शबिस्ताँ में तकल्लुमख़ेमे में तुनुक आह ख़यालों में तरन्नुम
एक ख़ेमे मैं इक दूर-उफ़्तादा सहरा मेंमुद्दत से उज़्लत-गुज़ी था
मैं ने पहुँचा दिया तुम तक जो मुझे पहुँचा थाकोई परदेसी है ख़ेमे पे परेशाँ-सूरत
तुम ने देखी है कभी एक ज़न-ए-ख़ाना-ब-दोशजिस के ख़ेमे से परे रात की तारीकी में
खे़मे खड़े हैं नूर केदरिया की नीली सत्ह पर
जो तेरे ज़ानू की रेहल पे ठिटकेधान के ख़ेमे में इक तू था
अभी दिन का थका हारा मुसाफ़िर धूप के खे़मे समेटेदूर पानी में उतरने के लिए
सोचती हूँजलते बुझते खे़मे थे
या असर हैं आसमान-ए-पीर पर बरसात केख़ेमा-ए-बोसीदा में पैवंद हैं बानात के
जब रात आती और अंधेरे हर दर ओ दीवार परख़ेमे अपने नसब कर लेते
लरज़ती इंसानियत के खे़मे जला रहा हैकि आसमाँ से मुहीब शो'ले बरस रहे हैं
बादल चटानें मख़मल के पर्दे पर्दों पे लहरें पड़ींकाकुल पे काकुल ख़ेमों पे ख़ेमे सिलवट पे सिलवट हरी
लुटे ख़ेमेउड़ी चादर
तीर खाता जा रहा होऔर उसे मा'लूम हो खे़मे तलक आना नहीं मुमकिन
निगाहों में हैरत के ख़ेमे लगाएउफ़ुक़ के घने पानियों की तरफ़
निगाहें उठाऊँ तो हद्द-ए-नज़र तकअज़ल और अबद के सुतूनों पे बारीक सा एक ख़ेमा तना है
जगमगाहटी वर्दी में छुपा लिया हैऔर इस के ख़ेमे में
रास्ता रोक पहले... पड़ाव के ख़ेमे लगाऔर फिर शाम की बाज़-गश्तों में बहती अज़ाँ
दुखों के ख़ेमे में बैठ करना-रसा ख़ुशी की ख़ुशी में हँसना
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