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नज़्म
पान कहने लगा सिगरेट से कि इबलीस-ए-लईन
तेरी तम्बाकू से जाती है बदन में निकोटीन
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
फ़क़त ख़यालों की बादशाही मिरी विरासत
तमाम क़र्ये का एक शाइर तमाम क़र्ये का इक लईं था
अली अकबर नातिक़
नज़्म
जो चाहें उन को कुछ और कह लें जो चाहें इंसाँ फिर भी समझें
मगर ये सच है लईन हैं ये
अबु बक्र अब्बाद
नज़्म
अजमी ख़ुम है तो क्या मय तो हिजाज़ी है मिरी
नग़्मा हिन्दी है तो क्या लय तो हिजाज़ी है मिरी
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मैं कि ख़ुद अपने मज़ाक़-ए-तरब-आगीं का शिकार
वो गुदाज़-ए-दिल-ए-मरहूम कहाँ से लाऊँ