aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "lag"
क्या मोल लग रहा है शहीदों के ख़ून कामरते थे जिन पे हम वो सज़ा-याब क्या हुए
मैं तिरे कान से लग कर कई बातें करतातेरी ज़ुल्फ़ों को तिरे गाल को चूमा करता
ढेर से साए पकड़ने के लिए भागते हैंतुम ने साहिल पे खड़े गिरजे की दीवार से लग कर
घोड़ा था घमंडी पहुँचा सब्ज़ी मंडीसब्ज़ी मंडी बर्फ़ पड़ी थी बर्फ़ में लग गई ठंडी
मुझे जो ग़ार जैसा लग रहा हैवहाँ मकड़ी ने जाल बुन लिया है
तमाम रात तैरते रहे थे हमहम एक दूसरे के जिस्म ओ जाँ से लग के
मुझे डर लग रहा है आजमुझ को अपने बिस्तर पर सुला लो
तेज़ाब का सुर्मा लग जातासटे-वट्टे में बट जाती
तुम मिरी दिल-लगी के सामाँ थेतुम मिरे दर्द-ए-दिल के दरमाँ थे
''इस क़दर गिरानी हैआग लग गई जैसे
बादल लगा टकोरें नौबत की गत लगावेंझींगुर झंगार अपनी सुरनाइयाँ बजावें
साँस क्या उखड़ी कि हक़ के नाम पर मरने लगेनौ-ए-इंसाँ की हवा-ख़्वाही का दम भरने लगे
लगे हैं कान सितारों के जिस की आहट परइस इंक़लाब की कोई ख़बर नहीं आती
बारिश होती है तो पानी को भी लग जाते हैं पाँवदर-ओ-दीवार से टकरा के गुज़रता है गली से
न ये कि वो चले तो कहकशाँ सी रहगुज़र लगेमगर वो साथ हो तो फिर भला भला सफ़र लगे
कुछ इश्क़ किया कुछ काम कियावो लोग बहुत ख़ुश-क़िस्मत थे
जैसे लफ़्ज़ों को गहन लग जाएजैसे रूठे हुए रस्तों के मुसाफ़िर चुप-चाप
हमें लग रहा था ये हम से उलझ करकहीं मर चुकी है
लोग रूठ जाते हैंये तुम्हें बता दूँ मैं
इक तमन्ना में है औलाद कीएक को दिल-दार की है लौ लगी
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