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नज़्म
चमकते हुए सब बुतों को मिटा दो
कि अब लौह-ए-दिल से हर इक नक़्श हर्फ़-ए-ग़लत की तरह मिट चुका है
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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चमकते हुए सब बुतों को मिटा दो
कि अब लौह-ए-दिल से हर इक नक़्श हर्फ़-ए-ग़लत की तरह मिट चुका है