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नज़्म
मोहसिन नक़वी
नज़्म
हवा लहरों पे लिखती है तो पानी पर तहरीर करता है
कि हम फ़रज़ंद-ए-आदम की तरह सब नक़्श-गर हैं
अहमद नदीम क़ासमी
नज़्म
कभी सोचती बे-तहाशा हूँ
कभी लिखती हूँ ऐसे कि हर लफ़्ज़ रूह का दर्द उगल देता है