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नज़्म
फिर हांडा है न भांडा है न हल्वा है न मांडा है
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
वो तो हो जाता है मुँह में ले के रोटी को फ़रार
बाक़ी-माँदा फिर वही उमीद-वार उमीद-वार
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
इक तरफ़ हंगाम-ए-शाम अज़-बस थका माँदा किसाँ
दिन की मेहनत से फ़राग़त पा के आया है मकाँ