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नज़्म
इक सीमीं-बदन इक तौबा-शिकन है महव-ए-ख़िराम इस्टेशन पर
माह-ए-ताबाँ माह-ए-रौशन माह-ए-कामिल माह-ए-अनवर
सलाम संदेलवी
नज़्म
मह-ए-रौशन है तू और तेरी तलअत रात भर की है
गुल-ए-शब्बू है तू और तेरी निकहत रात भर की है
अख़्तर शीरानी
नज़्म
इन्ही महरूम-ए-अज़ल राहिबों मा'बद के निगहबानों में
इन मह-ओ-साल-ए-यक-आहंग के ऐवानों में
नून मीम राशिद
नज़्म
मोहब्बत अपनी यक-तौरी में दुश्मन है मोहब्बत की
सुख़न माल-ए-मोहब्बत की दुकान-आराई करता है
जौन एलिया
नज़्म
मता-ए-दिल मता-ए-जाँ तो फिर तुम कम ही याद आओ
बहुत कुछ बह गया है सैल-ए-माह-ओ-साल में अब तक
जौन एलिया
नज़्म
आँखों की चमक रू-कश-ए-बज़्म-ए-मह-ओ-परवीं
पैराहन-ए-ज़र-तार में इक पैकर-ए-सीमीं
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
निकल कर जू-ए-नग़्मा ख़ुल्द-ज़ार-ए-माह-ओ-अंजुम से
फ़ज़ा की वुसअतों में है रवाँ आहिस्ता आहिस्ता