आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "maani-e-be-lafz-o-saut"
नज़्म के संबंधित परिणाम "maani-e-be-lafz-o-saut"
नज़्म
लफ़्ज़ के अंधे कुएँ में मा'नी का तारा भी आता नहीं है नज़र
लफ़्ज़ गौतम का इरफ़ाँ नहीं
करीम रूमानी
नज़्म
यहाँ आसूदगी इक लफ़्ज़-ए-बे-मफ़्हूम है गोया
मक़ाम-ए-ज़िंदगी से ज़िंदगी महरूम है गोया
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
किसी इक लफ़्ज़-ए-बे-मअ'नी की मीठी मीठी सरगोशी
यही चीज़ें मिरे ग़मगीं ख़यालों पर हमेशा छाई रहती हैं
मीराजी
नज़्म
एक इक लफ़्ज़-ए-बे-रंग की पैकरियत छुवाने पे मामूर है
अक्स जितने भी नंग-ए-बसीरत हैं सब
रशीद एजाज़
नज़्म
आसिमा ताहिर
नज़्म
तू ने रम्ज़-ए-क़ल्ब-ए-मख़्फ़ी आश्कारा कर दिए
मा'नी-ए-इल्म-ओ-अमल पर्दा से बे-पर्दा किए