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नज़्म
सितारों में ज़िया-अफ़रोज़ मिस्ल-ए-माह-ए-कामिल है
समझते हैं तुझे सालार अपना कारवाँ वाले
बिर्ज लाल रअना
नज़्म
फ़ुर्सत-ए-गर्दिश-ए-अय्याम मिले या न मिले
फिर तुम्हें 'कामिल'-ए-बदनाम मिले या न मिले
कामिल चाँदपुरी
नज़्म
कामिल चाँदपुरी
नज़्म
ऐ मिरी रूह-ए-ग़ज़ल हुस्न-ए-ग़ज़ल जान-ए-ग़ज़ल
चैन तुझ बिन तिरे 'कामिल' को कहाँ है अब भी
कामिल चाँदपुरी
नज़्म
देख सय्याह उसे रात के सन्नाटे में
मुँह से अपने मह-ए-कामिल ने जब उल्टी हो नक़ाब
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
धुआँ सा अब नज़र आता है मुझ को माह-ए-कामिल में
तुम्हारे साथ जितने दिन गुज़ारे याद आते हैं
शौकत परदेसी
नज़्म
गाएँ तराने दोश-ए-सुरय्या पे रख के सर
तारों से छेड़ हो मह-ए-कामिल में हम भी हों