आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "mahaaz-e-ja.ng"
नज़्म के संबंधित परिणाम "mahaaz-e-ja.ng"
नज़्म
बहुत दिन से वतन में इक महाज़-ए-जंग क़ाएम है
कहीं है धर्म को ख़तरा कहीं ईमान को ख़तरा
अहमक़ फफूँदवी
नज़्म
महाज़-ए-जंग से हरकारा तार लाया है
कि जिस का ज़िक्र तुम्हें ज़िंदगी से प्यारा था