आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "mahv-e-tarannum"
नज़्म के संबंधित परिणाम "mahv-e-tarannum"
नज़्म
गुलिस्ताँ में कभी बुलबुल-सिफ़त महव-ए-तरन्नुम है
कभी महफ़िल में जा जा कर वो मसरूफ़-ए-तकल्लुम है
नारायण दास पूरी
नज़्म
मैं ने अल्फ़ाज़ में रूमान के नग़्मे ढाले
सई-ए-तख़्लीक़-ए-तरन्नुम से सुकूँ मिल न सका
नज़ीर मिर्ज़ा बर्लास
नज़्म
गर फ़िक्र-ए-ज़ख्म की तो ख़ता-वार हैं कि हम
क्यूँ महव-ए-मद्ह-ए-खूबी-ए-तेग़-ए-अदा न थे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
चाँद और सूरज का हमदम हूँ फ़लक-पैमा हूँ मैं
आज तक महव-ए-तलाश-ए-फ़ितरत-ए-कुबरा हूँ मैं
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
खींचती वक़्त-ए-सहर दिल को तिरी कू-कू न थी
छाँव में तारों की महव-ए-नग़्मा-ए-दिल-जू न थी
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
बिर्ज लाल रअना
नज़्म
बाग़बाँ जो थे वो ख़ुद थे महव-ए-तख़रीब-ए-चमन
अल-ग़रज़ बिगड़ी हुई थी अंजुमन की अंजुमन