आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "maikash akbarabadi"
नज़्म के संबंधित परिणाम "maikash akbarabadi"
नज़्म
पोपला मुँह हिल रहा है झुर्रियों के साथ साथ
बोझ लाठी का लिए थर्रा रहा है नर्म हाथ
मयकश अकबराबादी
नज़्म
इक जनाज़े को उठाए जा रहे थे चंद लोग
तुम ने पूछा क्या हुआ क्यूँ जा रहे हो तुम मलूल
मयकश अकबराबादी
नज़्म
है अब तक सेहर सा छाया तिरी जादू-नवाई का
दिल-ए-उर्दू पे अब तक दाग़ है तेरी जुदाई का
मयकश अकबराबादी
नज़्म
ऐ दकन की सर-ज़मीं ऐ क़िबला-ए-हिन्दोस्ताँ
तेरे ज़र्रे मेहर हैं तेरी ज़मीं है आसमाँ
मयकश अकबराबादी
नज़्म
ख़ार-ओ-ख़स के झोंपड़े मिट्टी के बोसीदा मकाँ
जैसे अंधों के इशारे जैसे गूँगों की ज़बाँ
मयकश अकबराबादी
नज़्म
जबीन-ए-ज़ीस्त पे मर्क़ूम है मिरी आवाज़
कि तू ने ज़िंदा किए हुस्न-ओ-इश्क़ के ए'जाज़
मयकश अकबराबादी
नज़्म
यहाँ ख़्वाब-ए-सुकूँ-परवर में भी बेदारियाँ देखीं
यहाँ हर होशियारी में नई सरशारियाँ देखीं
मयकश अकबराबादी
नज़्म
बाँसुरी की लय पे जैसे जागते तारों का नाच
सर्दियों की कपकपी को चूम ले जिस तरह आँच
मयकश अकबराबादी
नज़्म
ऐ कि तेरी ख़िदमतें सरमाया-दार-ए-इल्म हैं
तेरा मक़्सद ज़ीस्त का आग़ाज़-ए-ख़ुश-अंजाम है
मयकश अकबराबादी
नज़्म
सोने वालों को पयाम-ए-सुब्ह-ए-नौ देती हुई
ख़्वाब की दुनिया उठी अंगड़ाइयाँ लेती हुई
मयकश अकबराबादी
नज़्म
तू ने की तख़्लीक़ ऐ महव-ए-ख़िराम-ए-जुस्तुजू
क़तरा-ए-ख़ून-ए-जिगर से काएनात-ए-रंग-ओ-बू