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नज़्म
ख़ाकी वर्दी घर वालों से छुप कर सिगरेट पीते होंगे
एक किनारे अदब की मलिका सब कुछ बैठी देख रही है
आसिम बद्र
नज़्म
ये तन्हाई में मेरे लब तक आ कर मुस्कुराती है
और अपनी मालिका की तरह दिल को गुदगुदाती है
अख़्तर शीरानी
नज़्म
ज़माना के सताए दूर से आए हुए हैं हम
मेरे ख़्वाबों की मलिका आश्ना तुम से नहीं ये ग़म