aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "marhale"
मरहले प्यार के आसाँ भी हैं दुश्वार भी हैंदिल को इक जोश इरादों को जवानी दी है
मरहले झेल के निखरा है मज़ाक़-ए-तख़्लीक़सई-ए-पैहम ने दिए हैं ये ख़द-ओ-ख़ाल तुझे
नए कुछ मरहले तस्ख़ीर करने मेंमिरे 'ग़ालिब', मिरे 'टैगोर' को अपना बनाने में
चाक पर जैसे बनाए जा रहे हों ज़लज़लेया जुनूँ तय कर रहा हो गर्दिशों के मरहले
सफ़र फ़ासला है, सफ़र मरहला हैयहीं पर हयात और यहीं पर फ़ना है
मेरी अदना ज़िंदगी हो उस के अदना मरहलेटार की लम्बी सड़क हो उस पे हों पीले दिए
तिरी वफ़ा ने बड़े मरहले किए आसाँफ़रोग़-ए-सुब्ह को तो ने फ़रोग़ काम किया
अगरचे सूत से तकले ने धागे को न खींचा थामिरे रेशे बुनत के मरहले में थे
चाहतों के सिलसिलेसदियों के मरहले
तू वहाँ के मरहले करता है तयदिन-ब-दिन और हफ़्ता हफ़्ता पय-ब-पय
उस से आगे के मरहले पे मगरना-रसाई के सिलसिले पे मगर
अजब उफ़्ताँ-ओ-ख़ैज़ाँ मरहले पहनाई शब के,तड़प ग़म-हा-ए-हिज्राँ की
न जाने उम्र के किस मरहले पे छूट गएमैं चाहता हूँ कभी बात कर के देखूँ तो
सफ़र के गुज़िश्ता मरहले में इधर उधर घुमा दिया थाये दुनिया
मरहले तारीक थे और मंज़िलें तारीक तरउस की नन्ही रौशनी पैहम रही ज़ुल्मत-शिकन
और तुम्हारे मसअले और मरहलेऔर हम हैं रूह की एहसास की गहराइयों के ग़ोता-ख़ोर
कि जिस मरहले पर किसी को किसी घर की कोई ज़रूरत नहीं है
ज़िंदगी के ये मरहले हैं अजीबपेश आते हैं हादसे भी अजीब
मंज़िल की धुन में झूमते गाते चले चलोहर मरहले को सहल बनाते चले चलो
जहाँ घने सब्ज़ और फलदार दरख़्तों में परियों का हुजूम इस्तिक़बालिया रक़्स के उरूजी मरहले को छू रहा हैमेरे साहिर
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