आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "martabe"
नज़्म के संबंधित परिणाम "martabe"
नज़्म
ये अगर आईन-ए-हस्ती है कि हो हर शाम सुब्ह
मरक़द-ए-इंसाँ की शब का क्यूँ न हो अंजाम सुब्ह
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मज़हब-ए-इश्क़ में जाएज़ है यक़ीनन जाएज़
चूम लूँ मैं लब-ए-लालीं भी अगर आज की रात
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
यही हैं मर्हम-ए-काफ़ूर दिल के ज़ख़्मों पर
उन्ही को रखना है महफ़ूज़ ता-दम-ए-आख़िर