aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "masl-e-hinaa"
बिंत-ए-हव्वा हूँ 'हिना' बात बड़ी है मेरीनाम 'औरत है मिरा ज़ात बड़ी है मेरी
नूर-ए-शाइस्तगी-ओ-शर्म-ओ-हयारिफ़अत-ए-दिलबरी-ओ-रंग-ए-हिना
मगर हर इक बार तुझ को छू करये रेत रंग-ए-हिना बनी है
जिधर देखो उधरएक तस्वीर-ए-हिना
इस कुंज से फूटेगी किरन रंग-ए-हिना कीइस दर से बहेगा तिरी रफ़्तार का सीमाब
रूह की तफ़्सीर भीरंग-ए-हिना की तनवीर भी
शबनम के क़तरे तौलूँगामैं रंग-ए-हिना आहंग-ए-ग़ज़ल
शाख़-ए-नज़र पे दहकाबर्ग-ए-हिना का शोला
शाख़-ए-नज़र पे दहकाबर्ग-ए-हिना का शो'ला
कहीं उगेंगी सरों की फ़स्लेंकहीं पे दस्त-ए-हिना उगेंगे
हयात रंग-ए-हिना नहीं हैहयात हुस्न-ए-बुताँ नहीं है
मेरी छोटी बहन का वो पाँवजिस से रंग-ए-हिना फूटता था
मिस्ल-ए-पैराहन-ए-गुल फिर से बदन चाक हुएजैसे अपनों की कमानों में हों अग़्यार के तीर
ताड़ के नीचे क्यों नहीं सायारंग-ए-हिना क्यों लाल है होता
रंग-ए-हिना में हुस्न हैलग़्ज़िश-ए-पा में हुस्न है
शफ़क़ जब फूल कर रंग-ए-हिना थीऔर हवा के लब सिले थे
कभी दुल्हन के हाथों से उठे रंग-ए-हिना बन कर बिखरते ख़्वाबकी ख़ुशबू
कि मैं उस हाथ की रेखाओं में रंग-ए-हिना ठहराकहाँ जाना था मुझ को
रंग-ए-हिना से लकीरें हमारे मुक़द्दर कीउस की हथेली में फिर से बनानी थीं
रंग-ए-शफ़क़ रंग-ए-हिना रंग-ए-लहूसब एक जैसे हो गए हैं
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