आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "matbakh"
नज़्म के संबंधित परिणाम "matbakh"
नज़्म
औरों की क्या कहिए ख़ुद मेरा दिल भी अँगारों का मतबख़ है
सदा मिरी आँखों में इक वो कशिश दहकती है जो
मजीद अमजद
नज़्म
आती भी हैं जाती भी हैं बेगम सू-ए-मतबख़
मामाओं में बे-वक़्त जहाँ होती है चख़ चख़
अली मंज़ूर हैदराबादी
नज़्म
कुछ और मिरे ख़्वाब हैं कुछ और मिरा दौर
ख़्वाबों के नए दौर में ने मोर ओ मलख़ ने असद ओ सौर
नून मीम राशिद
नज़्म
जब आई होली रंग-भरी सौ नाज़-ओ-अदा से मटक मटक
और घूँघट के पट खोल दिए वो रूप दिखला चमक चमक