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नज़्म
मजीद अमजद
नज़्म
गंगा दरिया की लहरों की रानाई का क्या कहना
कैसा प्यारा प्यारा है इस का बल खा खा कर बहना
मोहम्मद शफ़ीउद्दीन नय्यर
नज़्म
गंगा दरिया की लहरों की रानाई का क्या कहना
कैसा प्यारा प्यारा है इस का बल खा-खा कर कहना