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नज़्म
क़ौम-ए-आवारा इनाँ-ताब है फिर सू-ए-हिजाज़
ले उड़ा बुलबुल-ए-बे-पर को मज़ाक़-ए-परवाज़
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
शराब-ए-शोर से लबरेज़ है दुनिया का पैमाना
हरीफ़-ए-दीन-ओ-दानिश है मज़ाक़-ए-पीर-ए-मय-ख़ाना
बेबाक भोजपुरी
नज़्म
बदल डाला है ऐसा मग़रिबी तहज़ीब ने हम को
मज़ाक़-ए-ख़वान-ए-निअमत और तर्ज़-ए-पैरहन बदला
सय्यद तसलीम हैदर क़मर
नज़्म
मौत तज्दीद-ए-मज़ाक़-ए-ज़िंदगी का नाम है
ख़्वाब के पर्दे में बेदारी का इक पैग़ाम है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
मज़ाक़-ए-दिल-बरी है इश्क़ के पैग़ाम से वाक़िफ़
तसव्वुर है मिरा खोया हुआ सा तेरी आँखों में
ज़िया फ़तेहाबादी
नज़्म
मिटा सकता है कौन ऐसी ज़बान-ए-पाक-फ़ितरत को
दया दर्स-ए-वफ़ा जिस ने मज़ाक़-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत को
अलम मुज़फ़्फ़र नगरी
नज़्म
नज़र मिला कि बताऊँ ये ज़िंदगी क्या है
न हो ख़ुमार तो बढ़ता नहीं मज़ाक़-ए-हयात
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
रात आती थी सुनाने सोज़ का पैग़ाम जब
मश्क़-ए-तहरीर-ए-जुनूँ बनता था तेरा नाम जब