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नज़्म
फीका है जिस के सामने अक्स-ए-जमाल-ए-यार
अज़्म-ए-जवाँ को मैं ने वो ग़ाज़ा अता किया
आल-ए-अहमद सुरूर
नज़्म
सियाह ज़ुल्फ़ कि बरसात की हो जैसे घटा
मिज़ाज-ए-सुब्ह-ए-दरख़्शाँ तिरी जबीं की ज़िया
सरताज आलम आबिदी
नज़्म
इसी रविश पे है क़ाइम मिज़ाज-ए-दीदा-ओ-दिल
लहू में अब भी तड़पती हैं बिजलियाँ कि नहीं
मुस्तफ़ा ज़ैदी
नज़्म
क़ल्ब पर जिस के नुमायाँ नूर ओ ज़ुल्मत का निज़ाम
मुन्कशिफ़ जिस की फ़रासत पर मिज़ाज-ए-सुब्ह-ओ-शाम
जोश मलीहाबादी
नज़्म
साजिदा ज़ैदी
नज़्म
फैज़ तबस्सुम तोंसवी
नज़्म
ये कस दयार-ए-अदम में मुक़ीम हैं हम तुम
जहाँ पे मुज़्दा-ए-दीदार-ए-हुस्न-ए-यार तो क्या