aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "mu.nh-band"
मैं अभी तक सब्ज़ हूँमुँह-बंद इलायची की तरह
उस ग़ार का मुँह बंद था फिर सेअजब बे-यावरी ना-आश्नाई थी
मुँह-बंद कलियाँ अब कहाँजो अपनी सुंदर मोहनी मुस्कान कर दें राएगाँ
कैसे हर शाख़ से मुँह-बंद महकती कलियाँनोच ली जाती थीं तज़ईन-ए-हरम की ख़ातिर
कुँवारी उमंगों की मुँह-बंद कलियाँज़र-ओ-सीम के ढेर में तुल रही हैं
दिन में देखे तो कोई उस की परेशाँ-हालीचेहरा उतरा हुआ ख़ामोश फ़सुर्दा मुँह बंद
ख़याल आता है इक फूल बनने वाली हैवो कम-सिनी जो है मुँह-बंद सी कली की तरह
मिल के जब झुकती हैं लगती हैं कली मुँह-बंद सीऔर जब तनती हैं किस दर्जा भली दिल-बन्द सी
मैं समझा था ख़्वाब है लेकिनआँख खुली तो चौंक के देखा
दिन जो कहता है मत सुनधूप काँधों पर उठाने से भी हट जा
इक रोए चलाए तड़पे कलपे और कलपाएइक इक से कहे राम-कहानी
बेल बन केआसमाँ का मुँह चिड़ा रही हैं आज
'ख़ालिद' हमारे शेर अदब के ये अज़्दहेसुनते हैं मुँह को बंद किए कान खोल कर
तो क्या करना चाहिएदरवाज़े और खिड़कियाँ
कितनी यादेंजला चुका हूँ मैं
खाएँ चुक़ंदर छू-मंतरलाल टमाटर छू-मंतर
मैं सूरत में अच्छा नहीं हूँ मगरमुझे देख लो तुम ज़रा तोड़ कर
अगर माज़ूर होचुस्ती से पुर लोगों को देखो
रात भर कुत्ता उस के पेट में भौंक रहा थाकैसी कैसी आवाज़ें थीं
अब वो सफ़र में साथ ले जाने वालेबिसतर-बंद के काम आती है
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