आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "murg-e-naa-umiidii"
नज़्म के संबंधित परिणाम "murg-e-naa-umiidii"
नज़्म
मग़रिब-ओ-मशरिक़ की सारी बहस में तुम ना-उमीदी के सिवा क्या दे सके
ना-उमीदी कुफ़्र है
अंजुम आज़मी
नज़्म
क़ुतुब-नुमा न कोई बाद-नुमा और न मुर्ग़-ए-बाद-नुमा
हवाएँ आँधियाँ तूफ़ान बर्फ़-ओ-बाराँ
बलराज बख़्शी
नज़्म
मुझे आज फिर तुम से मिल कर बड़ी ना-उमीदी हुई है
वही तर्ज़-ए-गुफ़्तार चेहरे पे गहरी उदासी का आलम
ज़ुबैर रिज़वी
नज़्म
जिन की चोटी पर न पहुँचे कोई मुर्ग़-ए-तेज़-पर
सौदा-ए-लाल-ओ-जमुर्रद थी वहाँ की ख़ाक भी
मुंशी नौबत राय नज़र लखनवी
नज़्म
आ जाए ज़िद में बर्क़ की जो ना-गहाँ कहीं
या जिस तरह बहार में मुर्ग़-ए-शिकस्ता पर
जयकृष्ण चौधरी हबीब
नज़्म
बढ़ती हुई उमीदें उठती हुई उमंगें
मिट्टी में मिल गईं सब इस मर्ग-ए-ना-गहाँ से