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नज़्म
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
ऐ अहमक़ इंसाँ होश में आ कुछ अक़्ल-ओ-ख़िरद की बातें कर
बे-फ़ैज़ न अपनी मेहनत कर बे-कार न अपनी रातें कर
नाज़िश प्रतापगढ़ी
नज़्म
ज़रूरत है कि हम में रौशनी हो इल्म की पैदा
नज़र आए हमें भी ताकि अस्ल-ए-हालत-ए-दुनिया
अहमक़ फफूँदवी
नज़्म
कभी उस जब्र-ए-बे-अंदाज़ के फंदे से निकलो
और रचो उस में कि वो ख़ुद तुम में रचने के लिए बेताब दाइम है
किश्वर नाहीद
नज़्म
नाज़िश-ए-रंग-ए-बहाराँ है हर इक नज़्ज़ारा
कितना रंगीन है अंदाज़-ए-नज़र आज की शाम
अरमान अकबराबादी
नज़्म
बज़्म-ए-आलम में वो कैफ़ियात-ए-रंग-ओ-बू नहीं
रौनक़-ए-ऐवान-ए-गेती आज शायद तू नहीं