आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "nagmaat-e-aish-o-imbisaat"
नज़्म के संबंधित परिणाम "nagmaat-e-aish-o-imbisaat"
नज़्म
आ धमके ऐश ओ तरब क्या क्या जब हुस्न दिखाया होली ने
हर आन ख़ुशी की धूम हुई यूँ लुत्फ़ जताया होली ने
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
टुकड़े होता है जिगर देहली के सदमे सुन के 'ऐश'
और दिल फटता है सुन कर हाल-ए-ज़ार-ए-लखनऊ
हकीम आग़ा जान ऐश
नज़्म
बे-नियाज़-ए-'ऐश-ओ-'इशरत आश्ना-ए-दर्द-ओ-ग़म
एक मुश्त-ए-उस्तुख़्वाँ आशुफ़्ता-रौ बा-चश्म-ए-तर
अब्दुल क़य्यूम ज़की औरंगाबादी
नज़्म
ज़वाल होता है कैसे ये देख मग़रिब को
जुमूद-ए-'ऐश-ओ-तरक़्क़ी से हैं निढाल ये लोग
अख़लाक़ अहमद आहन
नज़्म
मुझे शिकवा नहीं उफ़्तादगान-ए-ऐश-ओ-इशरत से
वो जिन को मेरे हाल-ए-ज़ार पर अक्सर हँसी आई
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
न सामान-ए-ऐश-ओ-तरब न हूर-ओ-क़ुसूर माँगूँगा
न रुस्वाई से बचने की न इज़्ज़त आबरू की ख़्वाहिश है
अबु बक्र अब्बाद
नज़्म
फ़ज़ा-ए-दहर लबरेज़-ए-मसर्रत है तो मुझ को क्या
अगर दुनिया ख़राब-ए-ऐश-ओ-इशरत है तो मुझ को क्या