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नज़्म
अगर पामाल राहों पर क़दम रखने की आदत ख़त्म हो जाए
मशाम-ए-जाँ में ख़ुश्बू की बजाए दर्द दर आए
सलमान बासित
नज़्म
आ धमके ऐश ओ तरब क्या क्या जब हुस्न दिखाया होली ने
हर आन ख़ुशी की धूम हुई यूँ लुत्फ़ जताया होली ने
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
अपने मुँह से कह रही है साफ़ उर्दू की ज़बाँ
मौलिद-ओ-मावा है मेरा किश्वर-ए-हिन्दोस्ताँ
सफ़ी लखनवी
नज़्म
मुद्दई तू ने अभी देखा नहीं शाइ'र का दिल
जल्वा-हा-ए-रंग-ओ-बू होते हैं जिस में मुंतक़िल
अमजद नजमी
नज़्म
क़ल्ब ओ नज़र की ज़िंदगी दश्त में सुब्ह का समाँ
चश्मा-ए-आफ़्ताब से नूर की नद्दियाँ रवाँ!
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जमील मज़हरी
नज़्म
छोड़ दे मुतरिब बस अब लिल्लाह पीछा छोड़ दे
काम का ये वक़्त है कुछ काम करने दे मुझे
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
दिल मसर्रत की फ़रावानी से दीवाना है आज
देखना ये कौन आख़िर ज़ेब-ए-काशाना है आज