aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "nikhar"
हवा भी ख़ुश-गवार हैगुलों पे भी निखार है
जो मिट के हर बार फिर जिए थेनिखर गए हैं गुलाब सारे
निखर गई है कभी सुब्ह दोपहर कभी शामकहीं जो क़ामत-ए-ज़ेबा पे सज गई है क़बा
अण्डा खाने से लहू जिस्म में बढ़ जाता हैचुस्त होता है बदन ज़ेहन निखर जाता है
चाँदनी खुल के निखर आई है दरवाज़े परओस से भीगते जाते हैं पुराने गमले
बड़ी है बात जो तुम रंग-ए-गुल निखार सकोये दूर दौर-ए-जहाँ काश तुम को रास आए
ये धज न दे जो अजंता की सनअतों को पनाहये सीना पड़ ही गई देव लोक की भी निगाह
गिराँ है दिल पे ग़म-ए-रोज़गार का मौसमहै आज़माइश-ए-हुस्न-ए-निगार का मौसम
उन के आगे हर नया मैदान होगा जल्वा-गाहऔर तिरा स्टेज होगा सिर्फ़ शौहर की निगाह
कभी इक अश्क से धुल जाते हैं सदियों के ग़ुबारकाएनात और निखर और सँवर जाती है
गुलों की तरह गुलिस्ताँ में निखर लेंबनें हम भी सूरज गगन में उभर लें
दूधिया हुस्न से उक्ता के मिरी नज़रों नेजब भी देखा है तिरे रंग का भरपूर निखार
जमाल-ओ-हुस्न के काफ़िर निखार से खेलारियाज़-ए-इश्क़ की रंगीं बहार से खेला
जिस में मर्यम के हसीं नक़्श निखर जाते हैंऐ नए अस्र की रग रग को समझने वाले
उस के रंग उस के हुस्न को निखार देउस के दिल का बोझ उतार दे
अपने माथे पे दरख़शानी-ए-महताब लिएनिकहत-ओ-रंग लिए नूर का सैलाब लिए
सरापा-बगोश बनीदुख की भट्टी में तप के निखर रही है अभी
ज़ुल्मत-ए-शाम-ए-अवध सुब्ह-ए-बनारस का निखारआगरे के ताज की अज़्मत हिमाला का वक़ार
तिरे जमाल से ऐ आफ़्ताब-ए-नन्कानानिखर निखर गया हुस्न-ए-शुऊ'र-ए-रिंदाना
मेंह बरसता है तो धरती की नज़र झूमती हैफूल खिलते हैं तो गुलशन पे निखार आता है
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books