aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "nit"
इन दोनों में रन पड़ता हैनित बस्ती-बस्ती नगर-नगर
हर तरफ़ आतिश ओ आहन का ये सैलाब-ए-आज़ीमनित-नए तर्ज़ पे होती हुई दुनिया तक़्सीम
नित-नए खुलते हैं दवा-ख़ानेबनते हैं सैकड़ों शिफ़ा-ख़ाने
नित-नए तरीक़ों सेआप लुत्फ़ लेता था दोस्तों से कहता था
मक़्सूद मुराद उम्मीद सभी बर लाते हैं दिल-ख़्वाह गुरुनित लुत्फ़-ओ-करम से करते हैं हम लोगों का निरबाह गुरु
क़सम शौक़ की फ़ितरत-ए-मुज़्तरिब कीयूँही नित-नई धुन में गाए चला जा
शहर की सीढ़ियों पर सरकता हुआनित नए
वजूद वो हिद्दत-ए-रवाँ हैजो नित-नई हैअतों में बाक़ी है
और उस की कोख में ख़्वाबों का जादू आने वाली नित नई फ़सलों की ख़ुशबू भीचटख़ती और तपती सख़्त बे-हिस ख़ून की प्यासी चटानें भी
और इन्हें फिरनित-नई अनजानी आशाओं के
नित-नए ताज़ा हसीं अल्फ़ाज़शाइ'र अव्वलीं शाइ'र
आसमाँ के नित-नए असरार समझातींवो देखो
जहाँ चिड़ियाँ घनेरी झाड़ियों में चहचहाती होंजहाँ शाख़ों पे कलियाँ नित नई ख़ुशबू लुटाती हों
यही तुम से कहा था ना?मगर तुम को तो शायद नित-नए मौसम बुलाते थे
नित नया बहरूप लाज़िम है पए इज़हार-ए-ज़ातजब नज़र के सामने हो फ़न बराए मक्र-ओ-फ़न
एक छुट्टी भी हम को मिल न सकीनित बहाने बना के देख लिया
'नाशाद' ज़िंदगी से बेज़ार हो रही हैऐ नित नई बहारो कलियों को गुदगुदाओ
नित-नवेली सदा की दोशीज़ाशाएरी की पालकी पर सवार आएगी
ज़माना चाहता है हर-घड़ी बस नित-नई बातेंनए दिन और नई शामें नई सुब्हें नई रातें
वो मुश्त-ए-ख़ाक जिसे नूर ने किया सज्दाख़िरद के नित नए साँचों में ढल रही है आज
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