aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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उफ़ किस क़दर दिल-सोज़ हैतक़रीर बाज़ारी तिरी
किसी लफ़्ज़ के लिए जगह नहीं रहीइतने बहुत से लफ़्ज़... उफ़ ख़ुदाया!
पीछे पीछे आ रहा है कौन ये क्या बात हैबज रहे हैं कान उफ़ कैसी भयानक रात है
मुझे उफ़ जूतों को ही बदलना होगाऔर आँखों पर नई ऐनक लगानी होगी
हवा-बाज़ ऊँचा हवा-बाज़ आ'लावो रनवे पे आया जो टेक-ऑफ़ करने
बंद करती हूँबिजली के तार स्विच-ऑफ़ कर देती हूँ
भय्या तो सो रहे थेपंखे को ऑफ़ कर के
प्यास बुझाने के बादडिस्पोज़ ऑफ़ किया जाएगा
तर्ज़-ए-नौ की शाएरी में मद्द-ओ-जज़्र-ए-बहर-ए-शेरउफ़ ग़ज़ब
मिरी बेटी मिरी जानाँतुम्हें सब याद तो होगा
शाम शाम जैसी थी रास्तों पे हलचल थीकाम करने वाले सब
आज तारीकी-ए-शब हद सिवा लगती हैजाने क्या बात हुई है कि घुटन होती है
बे-महल हल्क़-बाज़ोंअँधेरे के अफ़-अफ़-ज़नों की तरह
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