aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ontal"
ये 'वेलियम' है 'ओनटल' है और 'टरपटी-नाल'तुम इन के साथ मिरी जाँ ड्रिंक से डरना
जो मंज़र भी है नाज़िर भीउट्ठेगा अनल-हक़ का नारा
सल्तनतआ बताऊँ तुझ को रम्ज़-ए-आया-ए-इन्नल-मुलूक
मैं सपनों मेंऑक्सीजन प्लांट इंस्टॉल कर रहा हूँ
भरी दो-पहरी में अँधियारासूरज परछाईं से हारा
सदियों के मज़लूम इंसाँ ने आज के दिन ख़ुद को पहचानाआज का दिन है यौम-ए-अनल-हक़ आज का दिन मंसूर का दिन है
हम जंग न होने देंविश्व-शांति के हम साधक हैं जंग न होने देंगे
शाइरी की दो सिंफ़ें हैं नज़्म-ओ-ग़ज़लउर्दू में इन की शोहरत है बच्चो अटल
अब तक तुम से कहा गया हैइंसाँ फ़ानी मौत अटल है
सुलगते शब्दों की उँगलियों से गिरा जो नीचेतो धँस गया फिर अटल मआनी की दलदलों में
किसी रात कोमेरी नींद अचानक उचट जाती है
ये आराम-देह बिस्तर पर हम से हम-बिसतरी करते हैंऔर कभी हमारी आँवल नाल से चिपक जाते हैं
अहमक़ थे मियाँ छछूंदर भीपढ़ते थे अंतर-मंतर भी
न पल छन कान युगों युगों के अंतर का
एक क़तरा अनल-बहर है सदा मेरीमैं काएनात में तन्हा हूँ आफ़्ताब की तरह
राहें धड़कीं शाख़ें कड़कीं इक इक टीस अटलकितनी तेज़ चली है अब के धूल-भरी हवा
तो चरिंद परिंद की ज़रूरत नहीं रहतीइंसान की पहली आँवल-नाल अज़िय्यत है
और मंसूर अनल-हक़ कह कर हर दौर में अमर होता रहाख़ुदा
अभी करता है चमन चाक-ए-गरेबाँ को रफ़ूयूँ तो क़ानून हैं फ़ितरत के अटल
सूफ़ी भी बन के देखा और रिंद-ए-बे-रिया भीकर नारा-ए-अना-अल-हक़ इक खलबली मचाई
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