aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "paak-dil"
नर्म दम-ए-गुफ़्तुगू गर्म दम-ए-जुस्तुजूरज़्म हो या बज़्म हो पाक-दिल ओ पाक-बाज़
''मश्कीज़े का पानी उसी रेत पर डाल दोऔर नंगे पाँव मेरे पीछे चले आओ''
रोब जमाता फिरता सब परदिल बहलाता अपना
जोबन तेरा जोश परदिल में आग लगाए
जिस के फेंकने परदिल तो राज़ी था
पानी बरस रहा हैपर दिल तरस रहा है
आरज़ू की चौखट परदिल के टूट जाने से
चरवाहे की नादानी परदी क़र्ये वालों ने दहाई
कभी ख़ुशबू लपेटे जिस्म परदिल-कश फ़ज़ाओं में
इस पर दिल में आग लगाएफ़ुर्क़त का आलम
साहिल से दूर जज़ीरों परदिल बहते बहते डूब गया
घर की तीसरी मंज़िल परदिन में दस बार पहुँचना
ख़ुद-कुशी का रस्ता थाख़ुद को मारने पर दिल
बर्फ़ जमी है ज़ेहनों परदिल में आग के शो'ले हैं
दो बार ही मिला थापर दिल में आ बसा था
वो ख़ाक बोए थे हालात ने शरर जिस मेंअब उस में फूल तमन्ना के खिलने वाले हैं
ख़ाक-ए-पाक-ए-जामिआआसमाँ से बढ़ गया है आज तेरा मर्तबा
यादों के गिरेबानों के रफ़ूपर दिल की गुज़र कब होती है
मगर इक बीज तुम नेदिल की धरती पर जो बोया था
वहाँ रुकनाजहाँ फूलों की संगत में रविश पर दिल धरे होंगे
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