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नज़्म
आँख खुली तो आँख में रंग-ए-बहार भर दिया
शीशा-ए-पाक-ओ-साफ़ में ले के ग़ुबार भर दिया
इज्तिबा रिज़वी
नज़्म
कैसी तवाना कैसी चंचल कितनी शोख़ और क्या बेबाक
कैसी उमंगें कैसी तरंगें कितनी साफ़ और कैसी पाक