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नज़्म
नुत्क़ को सौ नाज़ हैं तेरे लब-ए-एजाज़ पर
महव-ए-हैरत है सुरय्या रिफ़अत-ए-परवाज़ पर
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
सितारों की नज़र ने रात भर बे-ख़्वाब देखा है
वो शम-ए-हुस्न थी पर सूरत-ए-परवाना रहती थी
अख़्तर शीरानी
नज़्म
हुब्ब-ए-क़ौमी का ज़बाँ पर इन दिनों अफ़्साना है
बादा-ए-उल्फ़त से पुर दिल का मिरे पैमाना है
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
किसी भी शम्अ' से बे-ज़ार क्यूँ हो कोई परवाना
ये क्या इस दौर का दीवाना-पन है हम नहीं समझे
राशिद बनारसी
नज़्म
हमारी बज़्म-ए-अदब का है जश्न-ए-सालाना
जली है शम्-ए-सुख़न रक़्स में है परवाना
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
वो शम-ए-शब-अफ़रोज़ थी परवाना जहाँगीर
ये बात भी दोनों की मोहब्बत से अयाँ थी
चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी
नज़्म
हिन्द को है नाज़ तेरी हिम्मत-ए-मर्दाना पर
तू चराग़-ए-कुश्ता है ख़ाकिस्तर-ए-परवाना पर